याद है पापा आपका
सुबह-सुबह बिस्तर संभालना
दीवार में लगे मसहरी को
कश्ती सी आकार देना
फिर पालथी मार आंँखें बन्द कर
ध्यान लगाना और
हम दोनों भाई बहन का
कंधे पर बार-बार बैठ कर
बार-बार आपकी गोद में गिरना
मगर हमें फटकारने की बजाय
बन्द आँखों में हीं मंद- मंद मुस्कुराना
शायद वो था वात्सल्य रस में
आपका खो जाना
सब याद है पापा
मगर आज हम गिरे नहीं
गिराये गये हैं बहुत ऊंँचाई से
और अब आपका कांधा भी
नहीं है रोने के लिए
और न हीं वो गोद है
हमें चैन से सोने के लिए
ज़ेहन से जाता नहीं
वो गुज़रा ज़माना
बहुत मुश्किल है
वो मंज़र भूल पाना

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




