धरती डोली, अंधकार छाया,
अधर्म ने फिर जाल बिछाया।
हिरण्याक्ष ने ली चुनौती भारी,
छीन ली भू–माता हमारी।
पाताल में धरती को छिपाया,
देवों को संकट में डाला।
चारों ओर मचा हाहाकार,
तब हुआ प्रभु का अवतार।
वराह रूप में विष्णु आए,
तेजस्वी स्वरूप सुसज्जित पाए।
दिव्य रूप धर, विशाल कलेवर,
धरती के उद्धार को तत्पर।
शक्ति से भरा था रूप विशाल,
नेत्रों में था तेज बेमिसाल।
चहुं ओर गर्जन गूंजा भारी,
धरती मां की आई बारी।
पाताल की गहराई नापी,
हिरण्याक्ष पर प्रचंड प्रहार डाला।
भीषण युद्ध हुआ फिर भारी,
दुष्ट का अंत हुआ संहारी।
धरती को सींगों पर लिया,
स्नेह से नभ में ऊपर किया।
सजीव हुई फिर भूमि प्यारी,
फिर से हरी-भरी हो गई सारी।
जय हो प्रभु वराह विहारी,
त्रिलोक के तुम एक सहारी।
जब-जब धरती पर संकट छाए,
प्रभु वराह बन रक्षा को आए।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




