है ये आसमां उदास क्यों ?
बढ़ रही ये प्यास क्यूं ?
ये धूप भी डल सी लग रही ।
हवाओं की भी ताजगी
बुझी बुझी सी ।
हसीं वादियों भी उदास हैं।
दिल भी शांत है।
ना मचल रहा।
ना उछल रहा ।
हर आलम निराश है।
जैसे लगा तू उदास है।
दर्द कोई ख़ास है ।
ये तो बता तू उदास क्यूं ?
तू तो जिंदगी की
महताब है।
अब तो तू मुस्कुरा तो दे
देख सब उथल पुथल सी हो गई।
माफ़ कर दे मुझे गर अंजानें में
कोई खता जो भी हो गई।
इतना भी तो ना सता मुझे।
कभी तो पास आ मेरे।
ये दिन जवानी के ढल रहें।
वक्त के पहिए चल रहें।
फिर ये वक्त की बरबादी क्यूं ?
हुस्न की तबाही क्यूं ?
बेफीजुल की परेशानी क्यूं ?
क्यूं दूर दूर सी है ?
क्यों मजबूर हीर सी हैं ?
तू है तो सब हसीन हैं..
समां सभी रंगीन हैं ..
तू है तो सब हसीन हैं ..
समां सभी रंगीन हैं ...
तू है तो सब हसीन हैं...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




