टूटे हुए पत्थर समझ कर,
जिन्हें उपेक्षा से तुमने फेंक दिया था,
वो मेरे भावों के मनके थे,
तुम नौसिखिये जौहरी की तरह,
आत्ममुग्धता में मग्न थे,
तुम्हें लगा तुम पारस हो,
तुम्हारे स्पर्श से लौह स्वर्ण हो सकते हैं,
वास्तव में ,
पारस तुम्हें प्रेम ने बनाया,
उस प्रेम ने जो मेरी आँखों में था,
मेरी आँखों से उतरते ही,
तुम फिर उस नौसिखिये जौहरी की तरह हो गए,
जिसके लिए भाव सिर्फ टूटे हुए पत्थर है,
ठीक उसी तरह जैसे,
वो मूर्तिकार जो पत्थर को तराशता है,
उसे लगता है कि उसने पत्थर को जीवन दिया है,
जबकि पत्थर को आकार देते हैं,
उसी से टूट कर अलग हुए पत्थर के टूकड़े,
जो स्वयं को तोड़कर रच लेते हैं,
मूर्तिकार की कल्पनाओं को,
मूर्तिकार का अहम कभी देख नहीं पाता,
उन टूटे हुए पत्थरों के बलिदान को,
जैसे रसिक देख नहीं पाते,
प्रेम में टूटे हुए हृदय के टूकड़ो को,

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




