प्रकृति के नियम
प्रकृति का संस्कार सबके लिए एक है
ऐसा नियम जो किसी के लिए नहीं बदलता
धरा ने जो पैदा किया,अन्त में धरा में ही मिल जाता है
जल जो समुंदर से उड़कर बादल बना,फिर बरस कर समुंदर में ही मिल जाता है
मिट्टी में बोए जिस बीज से पेड़ बना,फिर अपने फल से मिट्टी को बीज वापिस लौटा देता है
एक बच्चा जिस पल अपना पहला कदम धरती पर रखता है,उसी पल से प्रकृति के संस्कार से जुड़ जाता है
जैसा जैसा व्यवहार वह दूसरों के साथ करता है,देर-सवेर वैसा वैसा लौट कर उसे मिलता जाता है
जो जो अपने जीवन में हम प्रकृति से धारण करते हैं,अन्त समय सब लौटा कर ही जाना पड़ता है
प्रकृति की ज़मीदारी कमाल की है,लेन-देन में चूक होने की कोई गुंजायिश ही नहीं दिखती है
न रिश्वत चलती है, न कोई रिश्तेदारी और न ही कोई गुज़ारिश..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




