सुनी हुई सी बात थीं, और देखे हुए से ख़्वाब..
कोई बेवज़ह के सवालों से, परेशाँ हुए ज़वाब..।
पिघलता हुआ आफ़ताब, और टूटते हुए तारे..
याद में किसी की फिर, जला रातभर महताब..।
थक–हारकर आ बैठा, वक्त भी अब पास मेरे..
बोला अब तो कर लीजिए, अच्छे बुरे का हिसाब..।
पल दो पल जो सुन लिया, दर्दभरा अफसाना उनका..
फिर झरने सा बह निकला ख़ुश्क आंखों का सैलाब..।
दिल में पोशीदा होंगे, उम्र–ओ–लहज़ा हजार मगर..
कब तक उम्रें छुपाएगा, ये सर–ए–ज़ुल्फ़ खिज़ाब..।
पवन कुमार "क्षितिज"