तू पागल है जो सच लिखता है,
झूठ लिख वो ज्यादा बिकता है।
झूठ के खरीदार की, कमी नहीं,
कौन? यहाँ जो सच खरीदता है।
झूठ के साथ चलता है काफिला,
सच्चा, ढूँढने से कहाँ मिलता है।
एक झूठ दबाने बोले हजार झूठ,
सच छिपाने से कहाँ छिपता है।
झूठ का कारोबारी है... बेफिकर,
सच वाला गली-गली फिरता है।
🖊️सुभाष कुमार यादव