भारत माँ पुकारती भारत माँ पुकारती ''
घन घन घोर अंधियारा छाया
तिमिर ने घनेरा जाल बिछाया
नव प्रभा है आने को --2
तिमिर सत्ता मिटाने को
तुमसे उजियारा माँगती
भारत माँ पुकारती ------
भ्रष्टाचार बन राक्षस आया
उसने माता को अकुलाया
बेड़ियो में जकड़ने को
चतुरसेन ने हाथ बढ़ाया
सिसकती भारत माता
युवा भारत को निहारती
भारत माँ ---------
झुका सके जो शीश नवल
कटा सके जो मस्तक समर
उस प्रखर तेज को तलाशती
भारत माँ ----------
कण्टकों मे ना घबराये
अंगारों पर चलता जाये
करे जो नव भारत निर्माण
युवा निर्माता को तलाशती
भारत माँ --------
रवि की हो दमक जिसमे
सिंह की हो गर्जना उसमे
गगन चुम्बी हो उसका इरादा
आधार भारत भविष्य का
वह प्रस्फुटित नवांकुर तलाशती
भारत माँ पुकारती भरत माँ पुकारती ॥
#अर्पिता पाण्डेय
हरवंशपुर, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश