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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परछाई बनके - सुप्रिया साहू

परछाई बनके

बन जाऊं मैं पंछी और
उड़ जाऊं बादलों के संग
देखे मुझे सब शान से
मैं परछाई बनके रहूं हर पल तेरे संग...।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Sacchi..... Bilkul rakenge hum apko apni parchai banake bas aap taiyar rahiye😀😊👌👌 Bahut khubsurat

Supriya sahu replied

Ham to taiyar hain didi😊, shukriya didi🥰😊, aapko sadar pranaam 🙏🙏.

श्रेयसी said

बहुत सुंदर 🙏🙏

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब 🙏🙏

Supriya sahu replied

शुक्रिया सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

वाह

Supriya sahu replied

धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

खूबसूरत 👌👌

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव said

बहुत खूबसूरत रचना।👌👌🙏

Supriya sahu replied

धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

मन की चंचलता, कोमलता, निश्छल स्वच्छंदता को प्रदर्शित करती ये मखमली कविता,एक मीठा एहसास कराती है। वाह बहुत खूब!

Supriya sahu replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

इतनी खूबसूरत और उड़ान भरी कल्पना! "पंछी बनकर बादलों के संग उड़ना, और हर पल उस खास शख्स की परछाई बनकर साथ रहना — सच में दिल को छू लेने वाला एहसास है।" आपके शब्दों में एक मीठी आज़ादी और साथ की कसक दोनों हैं।

Supriya sahu replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद अशोक सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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