तुम जो कहते हो मुझे,
वो बात काश मैं समझ जाती।
स्वार्थी बनने के चक्कर,
मैं किसी को दिल क्यों दे जाती।
कैसे लगा लूं दिल तुमसे,
मेरी एक हां में किसी की सांसे अटक जाती।
प्यार तो होता है खूबसूरत,
यूं किसी का दिल कैसे तोड़ जाती।
फूल बिछा लो या बिछा लो शबनम,
मैं हंसते हंसते कब्र नसीब कर जाती।
- सुप्रिया साहू