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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बचपन की सीख - वन्दना सूद

बचपन की सीख
शुक्र मनाते हैं उस ख़ुदा का जिसने हमें माँ बनाया ,
आज माँ बनकर ही माँ का अर्थ समझ में आया ।
बचपन में जिन बातों को , सीखों को झुठलाते थे ,
आज उन्हीं के सहारे अपने रिश्तों को निभाते हैं ।

बुनकर जो ख़्वाब उन्होंने हमें दिए ,
आज उन्हीं के सहारे अपनी ज़िन्दगी सँवारते हैं ।
इसलिए आज भी हर एक आह पर बस ,
उन्हीं का नाम ही पुकारते हैं ।

वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut Sundar Rachna - Sach kaha aapne

वन्दना सूद replied

Thankyou ji

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut pyara likha vandna ji

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am 😊 वैसे माँ का ज़िक्र आते ही हर काव्य अपने आप प्यारा लगने लगता है

फ़िज़ा said

Bahut khoob likha

वन्दना सूद replied

Thankyou😊🙏

Kapil Kumar said

Sach kaha maa sam priya nahin koi duja

वन्दना सूद replied

सही में sir हर आह पर जिनका नाम पहले आता हो उनसे प्रिय दूसरा कोई नहीं

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