बचपन की सीख
शुक्र मनाते हैं उस ख़ुदा का जिसने हमें माँ बनाया ,
आज माँ बनकर ही माँ का अर्थ समझ में आया ।
बचपन में जिन बातों को , सीखों को झुठलाते थे ,
आज उन्हीं के सहारे अपने रिश्तों को निभाते हैं ।
बुनकर जो ख़्वाब उन्होंने हमें दिए ,
आज उन्हीं के सहारे अपनी ज़िन्दगी सँवारते हैं ।
इसलिए आज भी हर एक आह पर बस ,
उन्हीं का नाम ही पुकारते हैं ।
वन्दना सूद