है मुकम्मल ही कहां तस्वीर बाकी हैं अभी
बंद पुड़िया में लिखी तकदीर बाकी हैं अभी•
वो शिकारी है बड़ा सबको गिराके लेगा दम
उसके तरकश में हजारों तीर बाकी हैं अभी•
शुष्क हैं आंखों में आंसू लब जरा खामोश हैं
लम्हा लम्हा दर्द का कुछ पीर बाकी हैं अभी•
दास जो मिलता यहां बस आजकल बैचैन है
हंसता चेहरा पर जुबां पे जंजीर बाकी हैं अभी•
अपनी अपनी जिन्दगी से हर कोई लड़ता रहा
मंजिलें मिलती हैं जिन्हें सब हीर बाकी हैं अभी•