प्रेरणा का स्पंदन
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
मन के भीतर सोई शक्ति, प्रेरणा से ही जागती है,
सुप्त इच्छाओं की कलियाँ, इसी से रंग भरती हैं।
कर्मों की वीणा में बजते, जो भी मधुर से तार हैं,
प्रेरणा की उंगली ही करती, उनमें झंकार है।
बिन इसके जीवन की नैया, ठहरी हुई सी लगती है,
लक्ष्य धुंधला सा दिखता है, हर राह कठिन सी लगती है।
पग आगे बढ़ते नहीं हैं, आलस का घेरा होता है,
मन निराश और शिथिल होकर, सपनों को खोता है।
प्रेरणा की एक छोटी सी चिंगारी, शोला बन जाती है,
असंभव लगने वाले पथ पर, राह नई दिखलाती है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




