बड़ी मुश्किल से मिली है ये जिंदगी
इसे यूहीं जाया ना करो।
इसके हरेक पलों को खुशनुमा बनाया करो।
ये माना बड़ा हीं मुश्किल है हमेशा खुश रहना तो फिर रो कर भी क्या करना।
सौ परदों में लाख छुपाले अपने आप को कोई तो भी मौत ढूंढ ही लेगी ।
डर कर सहम कर संकोच में क्या जीना यारों ये जिंदगी दुबारा ना मिलेगी।
किसके लिए दुखी हैं लोग
समझ नहीं आता।
मां बाप भाई बहन बीबी बच्चें रिश्तेदार
सभी तो अपनें में मस्त हैं।
सिर्फ़ बनावटी आवरण में ख़ुद को दिन हीन दर्शातें हैं ।
और ऐसा कर के तुमसे केवल मुफ़्त की सहानभूति चाहतें हैं।
वो तुझसे नहीं तेरी कमाई से प्यार करतें हैं।
किसके लिए तू अपनी अंतरात्मा से लड़ रहा।
जी तोड़ मेहनत कर रहा।
अपने ज़मीर तक को बेच डाला।
बनता तू सबका रखवाला।
समझता तेरे बिन इनका क्या होगा
अरे मूर्ख अगर इतना हीं भ्रम है तो
जा घूम के आ शमशानों में
आदमी को जलाकर अक्सर लोग बैठे मिले
मयखानों में।
सबकी चिंता छोड़।
खुशी से नाता जोड़।
बिंदास बोल बोल।
जीवन की राहें खोल।
सेट कर कुछ गोल।
सफ़लता के ट्रेमपोलिन पे उझल जा।
सपनों को लपक ले।
जी तू जी भर के।
कहीं और कुछ भी नहीं है।
जो भी है यहीं कहीं है।
तू अपनी कुर्सी ढूंढ ले।
फिर ले तू ऊंची उड़ान।
कर दे तू सबको हैरान ।
बस जा तू सबके दिल में
कर के सभी दुखों का दान।
बना ले तू खुशियों का उद्यान
करेगी दुनियां तुझको प्रणाम
मिलेगा तुझे सबका सम्मान
तब तू कहलाएगा महान....
तब तू कहलाएगा महान....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




