तूँ प्रीतम तूँ बालम
कैसे कहें कोई नहीं सजन
तेरे सिवा न भायें भोज कोई
प्रीत ही है मिष्ठान सजन
तूँ मेरा मैं तेरी अटूट है सगाई
कैसे कहें कोई नहीं सजन
तेरे लगनमें मस्त,दुःख नाही कोई
सुख मिले अलौकिक सजन
प्रीत ऐसी, शुधबुध नहीं
जहाँ जाएँ याद तेरी सजन
आत्मा भी कहें रूह में तूँ रहे
नाम तेरे कर दी ज़िंदगी सजन
जाने है,न मिलना होगा कभी
बिन मिले भी मिलते है सजन
तूँ प्रीतम तूँ बालम
कैसे कहें कोई नहीं सजन

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




