‘तू’रोशनी बनना परछाई नहीं
परछाई का अस्तित्व भी कुछ कम नहीं समझना।
ना होती परछाई,तो हम कभी स्वयं को न जान पाते।
ना होती परछाई,तो हम कभी प्रकाश को न ढूँढ पाते।
परछाई ही,तो हमें याद दिलाती है।
जीवन है,तो रात भी ज़रूर आएगी।
पर तुम सुबह का इंतज़ार करना नहीं छोड़ना।
किसी की छाया बन कहीं खो न जाना।
सूरज सी रोशनी बनना
जिसके उगने का हर किसी को रहे इंतज़ार ..
वन्दना सूद
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