मुझसे मिलकर किसी किसी को करार आता।
मोहब्बत करने वालों को मुझपर इतवार आता।।
अगर यक़ीं हो तो हमारे पहलू में तुम भी आना।
खुशी में इजाफ़ा होगा सुकून में रफ्तार आता।।
कजा भी रोक पाई कब दीवाने की मुलाकात।
दीवाने को तेरी गालियों में चेहरा दीदार आता।।
फ़ज़ा महकी है फिर इत्र जैसी उनके दामन की।
हवाएँ लेकर आ रही पैगाम चश्म-ए-तर आता।।
जहाँ पूजा हो देवी की वहीँ लुटती है क्यों इज़्ज़त।
पुरानी प्रथाओं से 'उपदेश' को जरा फितूर आता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद