हर कोई बदला मुझसे लेना चाहता है
कौन मुझे इस शहर में इतना चाहता है
मेरे कहने पर कहाँ छोड़ेगा वो मुझे
वो अपनी शर्तों पर छोड़ना चाहता है
उसके हाथ में दे दिया है खंज़र मैंने
वो अपने अंदाज़ में मारना चाहता है
दुनियां कहती रहती है, उसे आदत है
दरिया ए जिंदगी बेफिक्र बहा करता है
उसकी आँखों के सूखेपन में दिखता है
उसके दिल में अब कोई कहाँ रहता है