दर्पण के सम्मुख एक टक निहारती।
यकायक भाव बदलते तो याद आती।।
याद के झोंके में चुनरी सिर पर डाली।
चेहरे की परछाई से चुनरिया चहकती।।
वेदना की हद में हर्ष की लहर लपकी।
जब प्रीतम के नाम में सूरत चमकती।।
परसों यही चुनरी ओढ़नी बन जाएगी।
सोचते-सोचते दाहिनी आँख फड़कती।।
बेसुध रहने वाली लड़की दिल दिए बैठी।
इसलिए वह चाहकर भी नही सुबकती।।
विदाई से ही 'उपदेश' उसके ज़ख्म भरेंगे।
आने वाली घड़ी के इंतजार में तड़पती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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