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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सिंदूर उजाड़ा

तुमने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा
हमने तुम्हारी सीने का गुरूर उजाड़ा

औरों के दम पर, झूठी हस्ती दिखाने वाले
औकात क्या है तेरी, कर्जों में ही जीने वाले

तू जब जब हमारे घर में,आग लगाने आएगा
तब तब अपनी रूह को, जला जला ही पाएगा

हमारे खून को जब जब तू, पानी की तरह बहाएगा
हमारी पानी ही तुम्हें, खून के आंसू रूलाएगा

देख मलबों का ढेर,तू बात जरा समझ ले
कैसे गुजर रही है तेरी, रात जरा समझ ले

आतंकियों का पोषक हो, सारी दुनिया जानती है
कभी नहीं सुधरोगे ये, सारी दुनिया मानती है

तू इस्लामी बंदे नहीं, धर्म पूछ मारने वाले
आदम का आदमी नहीं, मासूमों को संघारने वाले

हमें पता है फिर से तू, गंदी षड्यंत्र करेगा
युद्ध विराम मांगा है,अब जिंदगी मांग मरेगा

धैर्य हमारी विरासत है, अपनी आंखों से देख जरा
कहां खड़ा है तू अब भी, पांवों के नीचे देख जरा

तेरे घमंड से वतन तेरा, खंड खंड हो जाएगा
सोंच, क्या कर लेगा, जब, युद्ध प्रचंड हो जाएगा।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

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रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर रचना 👌

सुभाष कुमार यादव said

कमाल की रचना। शब्द, अर्थ, भाव का सुंदर प्रस्तुतिकरण। क्रोध की पराकाष्ठा पर शब्दों में अद्भुत संयम। आपकी लेखनी को सादर नमन।👌👌🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

रीना जी, सुभाष जी हृदय से धन्यवाद।

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सुप्रिया जी हार्दिक आभार

वन्दना सूद said

शानदार रचना 🇮🇳🇮🇳

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वंदना जी धन्यवाद, नमस्कार

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