कच्ची मिट्टी की खुशबू, वो गलियां गाँव की,
सपनों का है बसेरा, वो बस्ती है प्यारी सी।
चूल्हे की वो आंच और चाय की मीठी चुस्की,
रिश्तों में बसी मिठास, है सादगी की झांकी।
धूल भरी पगडंडियां और खेलते वो बच्चे,
बचपन की वो यादें, दिल में बसती सच्ची।
चलो लौट चलें उस प्यार भरी छांव में,
जहाँ दिल की हर धड़कन, जुड़ी है गाँव में।