मत ढूंढ जीवन को दूसरे जीव में,
वरना तेरा जीवन बन जाएं पीव में।
शुद्ध शाकाहारी बन निकलेगा हल,
सृष्टि के बैमोल उपहार सब्जी,फल।।
जीवन में जो मानुष होते शाकाहारी,
पास उनके ही होती खुशियां सारी।
हे!धरा के प्राणी शुद्ध शाकाहारी बन,
तब ही होगा शुद्ध तेरा अपना भी मन।।
नर समझकर,मत कर जीवन में हिंसा,
गौतम बुद्ध भी सार समझाएं अहिंसा।
नर सबके प्रति रखते अपने दया भाव,
भवसागर से पार हो जाती उनकी नाव।।
साग-सब्जी फल-फूल में अपार भंडार,
खा-पीकर इन्हे जीवन को अपने संवार।
मानुष जैसा खाता अन्न और पीता जल,
मानुष का वैसा हो जाएं आने वाला कल।।
हे!धरा के मानव क्यों रहा जीवों को मार,
अंत समय आएगा तेरा,जीवन जाएगा हार।
हे! नर तू शुद्ध शाकाहारी बन,इतिहास रच,
कहते ऋषि-मुनि धरा पर ही होगा स्वर्ग सच।।
स्वरचित और मौलिक कविता
सुनील कुमार "खुराना"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




