शहर की हवा लगेगी जरा आ कर तो देखो।
अपनेपन को तरसोगे पता भुला कर तो देखो।।
एक सुकून छोड़ कर उम्मीद के बादल लेकर।
पाओगे नही जो खोया वक्त गला कर तो देखो।।
तुम्हारे बस में अगर हो तो भुला देना मुझको।
मौका मिला उस तरह दिल जला कर तो देखो।।
कुछ एक फूल मेरे दामन से हो गए बहुत दूर।
तलाश करते रहे खिदमत सहला कर तो देखो।।
दिखता ही नही किसी को इन उदास आँखों में।
मुँह पलट लेते 'उपदेश' नजर मिला कर तो देखो।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद