सर्दी की रातें,
बर्फ की बरसातें l
हस्ते खेलते बच्चे,
कंबल में सो जाते l
पर जब समय आता सुबह जागने का,
तो रो जाते II
सूरज सोचता... आज मै भी देर से जागूँगा,
कबूतर को लगता... कब में दाना चुगुंगा II
दिन हैं छोटे,
रातें लंबी I
फिर भी अगर काम पड़ें,
तो क्या करें हम भी II
----अनिष्का कुकरेजा