संतोष और शांति का पथ
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
दौड़ना क्यों व्यर्थ की चाहत में,
जब सुख छिपा है संतोष की राहत में।
जो है पास, उसमें खुशी मनाओ,
अनावश्यक इच्छाओं को मिटाओ।
लोभ-लालच से दूर रहो तुम,
शांति की राह पर चलो तुम।
मन को शांत और स्थिर बनाओ,
जीवन में सच्चा आनंद पाओ।
क्रोध, ईर्ष्या को मन से निकालो,
प्रेम और करुणा को ही पालो।
दूसरों की मदद में खुशी पाओ,
अपनत्व का भाव मन में बसाओ।
अहंकार से दूरी बनाए रखो,
विनम्रता को सदा अपनाए रखो।
ये गुण ही तो हैं जीवन की शान,
जो देते हैं सच्चा मान।
बाहर नहीं, भीतर है सच्ची खुशी,
अपना जीवन श्रेष्ठ बनाओगे तुम तभी।