शैतान को सजा दो ऐसी, रूह कांप उठे।
मरना भी चाहे तो मर ना सके, जीना भी चाहे तो जी ना सके।
सब्र का बांध टूट रहा, बैठे हैं सड़कों पर ।
न्याय की आस में, लिख न जाए इतिहास में।
बेरहम, बेदर्दी ने, जघन्य अपराध किया है।
मांगे मौत भी भीख में, जिंदा रखा जाएगा।
एक एक क्षण, याद दिलाया जाएगा।
न सोने दिया जाएगा, न खाने दिया जाएगा।
तरस जाएगा एक बूंद पानी के लिए,
तभी शैतान को सब कुछ याद आयेगा।