समुद्र की लहरें - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन 'विख्यात "
नमक का स्वाद,
पानी की गहराई।
समुद्र की लहरें ,
करतीं हैं आहटें भारी।
कभी कोमल सी,
कभी उग्र होती हैं।
अपनी कहानियां,
ये हमेशा कहती हैं।
किनारों से टकरातीं,
फिर लौट जाती हैं।
अपने में ही खो जातीं,
फिर जगमगाती हैं।
कभी शांत होती हैं,
कभी तूफानी,
प्रकृति की ये लीला है अद्भुत निशानी।
रेत पर लिखतीं हैं अपनी कविताएं,
सदियों से चल रही हैं ये परंपराएं।