रखो थोड़ा सा दाना पानी
शिवानी जैन एडवोकेट byss
आँगन में रखो तुम दाना थोड़ा, छत पर रखो थोड़ा पानी,
ये बेजुबान भी जी लेंगे, बन जाएगी इनकी कहानी।
गर्मी की तपती धूप में जब, व्याकुल हो उड़ते फिरते हैं,
एक बूँद मिले जो जल शीतल, तो तृप्त हृदय से जीते हैं।
ठंड की ठिठुरती रातों में, जब दाना नहीं कहीं पाते,
तुम्हारे दिए कण से उनकी, बुझ जाएगी भूख सुहाते।
ये छोटे से पंछी प्यारे, अपनी ही धुन में रहते हैं,
थोड़ा सा प्यार मिले गर तुमसे, तो कितना खुश ये होते हैं।
मत भूलो इनको भी तुम कभी, ये प्रकृति के सुंदर रंग हैं,
इनकी चहचहाहट से ही तो, जीवन में भरते उमंग हैं।
थोड़ा सा प्रयास तुम्हारा ही, बचा सकता है इनकी जान,
रखो दाना और पानी थोड़ा, करो ये छोटा सा दान।