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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

सफ़र में धूप भी - मोटिवेशनल सांग - वेदव्यास मिश्र

सफ़र में धूप भी मिलेंगी,
कुछ परेशानियाँ भी होगीं !!
धीरज हौसलों के अलावा भी,
ज़रा सामान तो मैं रख लूँ !!

सफ़र में लोग भी मिलेंगे,
कुछ नये और पुराने भी !!
सफ़र में भूख भी लगेगी,
ज़रा सा गुड़ भी साथ रख लूँ !!

नाच लेंगे झूम के हम,
ग़र बाराती कहीं मिलेंगे !!
सफ़र में जश्न भी तो होगा,
कुछ पटाखे भी तो रख लूँ !!


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

ताज मोहम्मद said

बहुत ही उम्दा लिखा है आपने भाई जी।

वेदव्यास मिश्र said

ताज मोहम्मद जी, आभार सहृदय भाई साहब !! नमस्कार सुप्रभात 🙏🙏🌈🌈🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏🙏 suprabhat Aacharya ji bahut hi Sundar Dhiraj good patakhe jo bhi rakhna hai rakh lijiye Shayar safr mein ham bhi mil jaaye aur vah hamare bhi kam aaye

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, अगर आप मिल जायें सफर में तो क्या कहना ऐ दोस्त..फिर तो आनन्द ही आनन्द..और किसी भी सामान की ज़रूरत ही नहीं..फिर भी फटाके और घर का गुड़ हम रख लेते हैं !! आप भी वहाँ से कुछ लेते आइयेगा..मजा आ जायेगा ..जब सपरिवार बैठेंगे और मिल-बाँटकर खायेंगे !! शुभाशीष नमन सुप्रभात 🙏🙏💜💜🙏🙏

Muskan Kaushik said

Bahut behtarin likha hai

वेदव्यास मिश्र said

Muskan Kaushik जी, सब आप लोगों की दुआएँ हैं मैम जी !! नमस्कार 🙏🙏

Ankush Gupta said

Bahut badiya umda

रीना कुमारी प्रजापत said

सफ़र में सब मिलेगा सही है पर घर का कुछ साथ भी लेकर निकलना चाहिए बहुत बढ़िया भाई साहब वैसे ये हक़ीक़त ही है कहीं भी जाते है तो घर से कुछ न कुछ तो लेकर जाते ही हैं।

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, अति उत्तम प्रतिक्रिया..सही मायने में आप इस पोस्ट के केन्द्रिय भाव को समझ गईं !! बिलकुल, अभी तो गर्मी के दिनों में हमें बाहर के खाने-पीने से बचना ही चाहिए !! घर का बनाया हुआ हलुआ, पूरी-सब्जी और साथ में गुड़ भी ज़रूर रखना चाहिए क्योंकि उल्टी अथवा मितली में वोमिकाइन्ड दवाई का भी काम करती है !! नमस्कार 🙏💜💜🙏

वेदव्यास मिश्र said

Ankush Gupta जी, बहुत-बहुत स्वागत भाई साहब..गुड़ ,हलुआ-पूरी और आलू की सूखी सब्जी रख लिया हूँ !! आप भी कुछ रख लीजियेगा ..मिल-बाँटकर खायेंगे 🙏💜💜🙏

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