चाहे जितना कमाले, अरे !ओ भ्रष्टाचारी।
पास तेरे कुछ भी नहीं रहेगा, जब आएगी उनकी सवारी।
सोच रहा पड़ा -पड़ा, क्या मैंने कर डाला।
व्यर्थ में ही, गरीबों का खून चूस डाला।
हाय लग गई किसी की, हाथ पैर टेड़े पड़ गए।
चल फिर भी नहीं सकता, अपने भी छोड़ भाग गए ।
अपनी ही दुर्दशा पर, आंसू बहाता है।
समझ आया आज, खाली हाथ जाता है।