वही समझ सकती मेरे ज़ज्बातो को।
दिल में उमड़ रही बहुत सी बातों को।।
कैसे कट जाती है राते बिना तुम्हारे।
स्वप्न टूट जाता भूल नही पता बातो को।।
धुंधली सी तस्वीर कशमकश में रहती।
याद दिलाती सामने आने पर बातों को।।
एक एक दिन काटना मुश्किल हो जाता।
बेपरवाह छोड़ कर गई 'उपदेश' बातों को।।
पल में तोला पल में मासा रूप बदलकर।
आ जाती थी किस्सों में उलझती बातों को।।
वो हसीन लम्हे जो तेरे साथ बिताए हमने।
दिल दोहराता रहता उन्हीं रूहानी बातों को।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद