रात का सन्नाटा कुछ आहटों से भरा भरा हैं
आस पास ऐसा लगता हैं जैसे कोई तो खड़ा हैं
कोई हैं जो सुनता हैं मुझे ,कुछ वो कहता हैं मुझे
ना जाने कौन हैं ,जो अपनो में गिनता हैं मुझे
इतने रिस्ते जो साथ हैं रोशनी में
सबके सब फिजूल से लगते हैं अब
रात के सन्नाटे में जो मिला हैं देखा नहीं उसको
अपना सा लगता हैं पर मुझे
----रश्मि रावत