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कुछ लोग..
इतने भी हक़दार नहीं हैं..
कि आप उन्हें
याद करिए !!
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किसी को ज्यादा
सहारा देना भी उसे
कमज़ोर ही बनाना है !!
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बड़प्पन देखना है तो..
समुन्दर को देखिये !!
उससे मिलने जाने पर वो
सबसे पहले हमारा चरण
पखारता है !!
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किसी को भी उतना ही
सम्मान दीजिए
जितना उसके लायक है..
वर्ना कई लोगों को
ज्यादा सम्मान
हज़म ही नहीं होता है !!
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प्ले तो हर कोई कर लेता है
ज़िन्दगी के रंगमंच में..
मगर दर्शक दीर्घा
सिर्फ कैरेक्टर को ही याद
कर पाता है !!
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- ना इधर की ना उधर की..
वेदव्यास मिश्र के डायरेक्ट दिल से..
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







