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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह“ राशा“ की कविता ”कृतज्ञता“

हर बार
जब दुनिया ने मुझे पत्थर की तरह तोड़ा,
मेरे भीतर से
एक नन्हा झरना फूट पड़ा।
वह झरना
मिट्टी की खुशबू ओढ़े
तुम्हारे आँचल तक बह आया—
मानो धरती की कोख से
नया बच्चा जन्म ले रहा हो।

उन्होंने जितनी बार
मेरी आँखों में अंगारे फेंके,
मेरी पलकों ने उन्हें
माँ की हथेली-सा थाम लिया,
और वे अंगारे
तुम्हारी हथेलियों में
फूलों की तरह खिल उठे।

उनकी जंजीरें
मेरे गले का फंदा नहीं बनीं—
बल्कि सीढ़ियाँ बन गईं,
जैसे माँ अपने बच्चे को
गोद में उठाकर
ऊँचाई पर बैठा देती है।
मैं उन सीढ़ियों से उतरता हुआ
हर बार
तुम्हारे घर की देहरी तक आ पहुँचा।

उनके शब्द,
कभी तीर, कभी काँटे,
मेरे लहू में घुलकर
स्याही बन गए।
और उस स्याही से
मैंने तुम्हारे नाम की चिट्ठियाँ लिखीं—
जो मैंने किसी डाकिए को नहीं दीं,
बस हवा के हवाले कर दीं।

मेरी हर टूटन
माँ की कोख की तरह निकली—
जहाँ से नया जीवन जन्म लेता है।
और मैं बार-बार
उन टूटनों से गुज़रकर
तुम्हारे पास जन्म लेता रहा।

इसलिए मैं उनका भी अहसानमंद हूँ।
उनकी बेरहमियाँ ही
मेरे लिए वह दूध बन गईं
जिससे मेरी प्यास बुझी,
उनकी कठोरता ही
मेरे लिए वह चादर बनी
जो मुझे तुम्हारे आँचल तक ले आई।

आज जब मैं पीछे देखता हूँ,
तो समझता हूँ—
दुनिया की सारी तल्ख़ियाँ,
सारे काँटे,
सारी जंजीरें
दरअसल वे दाइयाँ थीं
जो मुझे तुम्हारी गोद तक
सुरक्षित पहुँचा देती थीं।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमाशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

वन्दना सूद said

रचना इसे कहते हैं प्रत्येक पंक्ति में प्रभु के प्रति समर्पण और निश्छल प्रेम की झलक मिलती है 👌👌👏👏🙏🙏🙌🏻🙌🏻इतना deep कोई कैसे लिख सकता है क्या कहूँ अब मैं आपसे

श्रेयसी said

आपकी रचना पढ़कर मैं निःशब्द हो जाती हूंँ। सारी रचनाएं लाज़वाब 🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

राशा जी,
निहायत ही गहराई में उतर कर आप गहरी रचना रचते हैं, जिसे समझने के लिए उतनी ही गहराई में उतरना पड़ता है जो कभी-कभी मुश्किल जान पड़ता है! फिर एक बे-मिसाल सूफ़ियाना कलाम हमेशा की तरह! वाह! बहुत ख़ूब! 👌👌👏👏

Lekhram Yadav said

वाह बहुत खूबसूरत, हम भी आपकी कृतज्ञता के आगे नत मस्तक हैं, आपको सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! राशा जी,आप सिर्फ लिखते ही नहीं हैं बल्कि अंतर्मन की खूबसूरत लहरों को कोरे कागज पर जीवंत चित्रित कर देते हैं। दुनिया की दी हुई तीर, कांटें, जंजीरें, तल्खियां, बेरूखी सबको अपने लिए आशीर्वाद बना लेना, इससे बड़ी कृतज्ञता भला और क्या हो सकता है। इतनी सारगर्भित रचना के लिए आपको हृदय की अनंत गहराइयों से बधाई बधाई बधाई!!🌹🌹🌹🙏🙏👌👌👌

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