गलतियों पे गलतियां किए जा रहे हैं
तवज्जो वो हमे कभी देते नहीं
फिर भी प्यार उन्हीं से किए जा रहे हैं,
शायद हमारे इस प्यार की वजह हमारा विश्वास है।
नियत में नहीं कोई खोट उनकी
बस मसरूफ़ बड़े हैं अपनी ज़िंदगी में
इसीलिए वो हमे भूले जा रहे हैं,
वो धीरे - धीरे अजनबी होते जा रहे हैं।
अरसे तो कितने ही गुज़र गए उनसे रूबरू हुए,
अब कई वक्त भी गुज़र गया उनसे गुफ़्तगू किए।
हम तो चाहते हैं हर रोज उनसे गुफ़्तगू करना,
पर वो ही नहीं चाहते जाने क्यों गुफ़्तगू करना हमसे।
उनकी थोड़ी सी मोहब्बत देख हमारे
पर निकल आते हैं,
और फिर वो ही गलती करते हैं
जो हमेशा से करते आए हैं। गुफ़्तगू करने की कोशिश करते हैं हम
और वो फिर से कहीं ग़ायब हो जाते हैं।
हम उनकी परवाह बहुत करते हैं,
और वो हमारे लिए बेपरवाह रहते हैं।
पर फिर भी लगता है
थोड़ी तो फ़िक्र है उन्हें हमारी
तभी तो हक़ीक़त में ना सही पर
ख़्वाबों में हमसे मिलने रोज आते रहते हैं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत