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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

प्यार उन्हीं से किए जा रहे हैं

गलतियों पे गलतियां किए जा रहे हैं
तवज्जो वो हमे कभी देते नहीं
फिर भी प्यार उन्हीं से किए जा रहे हैं,
शायद हमारे इस प्यार की वजह हमारा विश्वास है।
नियत में नहीं कोई खोट उनकी
बस मसरूफ़ बड़े हैं अपनी ज़िंदगी में
इसीलिए वो हमे भूले जा रहे हैं,
वो धीरे - धीरे अजनबी होते जा रहे हैं।

अरसे तो कितने ही गुज़र गए उनसे रूबरू हुए,
अब कई वक्त भी गुज़र गया उनसे गुफ़्तगू किए।
हम तो चाहते हैं हर रोज उनसे गुफ़्तगू करना,
पर वो ही नहीं चाहते जाने क्यों गुफ़्तगू करना हमसे।

उनकी थोड़ी सी मोहब्बत देख हमारे
पर निकल आते हैं,
और फिर वो ही गलती करते हैं
जो हमेशा से करते आए हैं। गुफ़्तगू करने की कोशिश करते हैं हम
और वो फिर से कहीं ग़ायब हो जाते हैं।

हम उनकी परवाह बहुत करते हैं,
और वो हमारे लिए बेपरवाह रहते हैं।
पर फिर भी लगता है
थोड़ी तो फ़िक्र है उन्हें हमारी
तभी तो हक़ीक़त में ना सही पर
ख़्वाबों में हमसे मिलने रोज आते रहते हैं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Suprabhat Reena Mam,🙏🙏 Bahut sundar rachna bahut pyara likha hai aapne

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात 🙏 शुक्रिया

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना, कैसी हो। आजकल अपने उनसे ख्वाब में बहुत मिलना हो रहा है , मिलिए जरूर मिलिए हकीकत में न सही ख्वाब में सही। बहुत सुंदर कविता है ।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात बड़े भय्या 🙏 हम अच्छे है। बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Uma Shri said

Bahut sundar rachna👍

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया उमा श्री जी🙏 स्वागत है आपका,प्रणाम

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