प्रकृति की गोद
अतुलनीय है प्रकृति की महता
यदि महिमा का गुणगान करना चाहें
तो सोच छोटी रह जाती है
कुछ लिखकर ब्याँ करना चाहें
तो शब्दकोश में शब्द कम पड़ जाते हैं
ऐसी है हमारी अनमोल प्रकृति ..
ऊर्जा का ऐसा अदभुत स्रोत है
जिसके स्पर्श मात्र से ही जीवन परिपक्व बन जाता है
कभी मन बेचैन होकर गम में डूबने लगे
सामने हार नज़र आने लगे
आत्मविश्वास डगमगा रहा हो
अपनों में भी अकेलापन लगने लगे
तो एक पल बिताए बिना प्रकृति से मिलने आ जाना ..
जिस समय रात्रि अलविदा लेने लगी हो
कुछ तारें अभी भी धरती पर झाँक रहे हों
पक्षियों का संगीत नयी सुबह का अभिनन्दन कर रहा हो
उस खामोशी में भी एक अपनापन लग रहा हो
पवन तुम्हें हल्का हल्का स्पर्श कर रही हो
तो समझ जाना कि
प्रकृति अपनी गोद में तुम्हें सहला रही है ..
वह माँ की तरह तुम्हारे मन की भावनाओं को समझेगी
तुम्हारी आशाओं को नया सवेरा देगी
तुम्हारे आत्मविश्वास को चट्टान सा बना देगी
नयी उम्मीद,नया हौसला देकर तुम्हें सफलता की सीढ़ी चढ़ने की प्रेरणा देगी
तुम अकेले नहीं हो,मैं हर जगह तुम्हारे साथ हूँ ऐसा कह रही होगी
हो सके तो मुझसे रोज़ मिलने आना शायद ऐसा तुमसे प्रकृति भी कह रही होगी ..
वन्दना सूद