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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

प्रभु बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी..

लो अवतार की पाप के बोझ से दब रही धरती ।
प्रभु ये कलयुग का प्रकोप है कि है तुम्हारी मर्ज़ी।
ढोंग पाखंड चरम सीमा पर है प्रचंड गर्मी
कैसे कैसे लोग यहां फर्जी।
अब देर ना करो प्रभू भारत को बचाने आओ।
सत्य की स्थापना हो जनकल्याण की उपासना।
चहुं दिशाओं में हो भारत की सराहना।
हो लोगों के लिए असीम संभावना।
मिटाने पाप का राज़ जो लोगों के अंदर छिपा बैठा है।
आम आदमी तो आम आदमी बड़े बड़े ज्ञानियों को भी जिसने ना छोड़ा है।
करने अंधेरों के दिल में रौशनी ।
घोलने दिलों में प्यार मोहब्बत देश सेवा
आपसी प्रेम सौहार्द सहमती सहयोग की चासनी।
प्रभु एक बार फिर से भारत की उत्थान के लिए ।
नवसृजित संसार के लिए ।
करने विध्वंस दशकंध को ।
करने उद्धार हर कंस जरासंध को ।
दिलाने लोगों को अधिकार।
हो विश्व में भारत की जय जय कार ।
बस प्रभु ले लो एक बार फ़िर से अवतार
बस यही हम सबकी है अर्ज़ी
प्रभु बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी....
प्रभु बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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रमेश चंद्र said

Bilkul sahi guhar lagai ha prabhu se. Prabhu ek bar aa jao.

Saurabh Saini said

Har chij shri ram ke hath m ha. Jisko jese krna chahnge kr denge. Mgar is dunia m paap kuch jyda hi ho rha ha prabhu. Isly aap aa jao.

Shakshi said

Pta nhi krishn kab aaynge. Dunia m pap to apni charam sima pr hai. 🤔🤔

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