लो अवतार की पाप के बोझ से दब रही धरती ।
प्रभु ये कलयुग का प्रकोप है कि है तुम्हारी मर्ज़ी।
ढोंग पाखंड चरम सीमा पर है प्रचंड गर्मी
कैसे कैसे लोग यहां फर्जी।
अब देर ना करो प्रभू भारत को बचाने आओ।
सत्य की स्थापना हो जनकल्याण की उपासना।
चहुं दिशाओं में हो भारत की सराहना।
हो लोगों के लिए असीम संभावना।
मिटाने पाप का राज़ जो लोगों के अंदर छिपा बैठा है।
आम आदमी तो आम आदमी बड़े बड़े ज्ञानियों को भी जिसने ना छोड़ा है।
करने अंधेरों के दिल में रौशनी ।
घोलने दिलों में प्यार मोहब्बत देश सेवा
आपसी प्रेम सौहार्द सहमती सहयोग की चासनी।
प्रभु एक बार फिर से भारत की उत्थान के लिए ।
नवसृजित संसार के लिए ।
करने विध्वंस दशकंध को ।
करने उद्धार हर कंस जरासंध को ।
दिलाने लोगों को अधिकार।
हो विश्व में भारत की जय जय कार ।
बस प्रभु ले लो एक बार फ़िर से अवतार
बस यही हम सबकी है अर्ज़ी
प्रभु बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी....
प्रभु बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




