खुदा है! किसी नास्तिक से मनवा लेना उतना कमाल नहीं जितना के उसके फ़रमान के मुताबिक़ ख़ुद को ज़िंदगी गुज़ार लेने में है ।
अहसान जताने वाले _ एक फतह को जीवन का यादगार बना लेना न अक्लमंदी की दलील है न ही ईमान सालिम होने का दलील है ।
कमाल की ज़िंदगी बहुत तकलीफें में सब्र के साथ गुजारी दुश्मनों की ज़ुल्म झेलते हुए पीठ पिछे उसका सिकवा न किया अपनी राज पोशीदा रखने में किया ।
आलिम बा अमल उसे नहीं समझा जायेगा जिसने फिल्मी स्टाइल या सियासी दल के इशारे को अपनाया मसलन दो अंगुली दिखाना किस बात कि अलामत है।
न इधर देखो न उधर देखो जिधर भी देखो मगर देखने में अपना मस्तिक स्थिर रखो गर पीछे मुड़ कर देखा तो आने वाली फतह शिकस्त होगा ।
हम लिखने में ही हैं जितना लिख सकता हूं लिख देता हूं _ समाज में हमें कोई लेखक पत्रकार नहीं समझता है क्यूं सदा ख़ामोश हूं वजीफा पढ़ता रहता हूं एकांत में।
दिल में ख्यालें यूहीं नहीं उभरती है मेरे नियत _ इरादे _ सच्ची लगन सच्चाई के साथ अपनी जीवन कुर्बानी देना इंसानियत बहाल हो जाए खुदा की कायनात में ऐसा अमल होता है।
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी!
मुफक्किर कायनात! मुफक्किर ए मखलुकात
दरवेश ! लेखक ! पोशीदा शायर! 22.12.2025


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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