अबतो यही है हमारा घर।
जिसे लोग कहते है कब्र।।1।।
आना है तुमको भी यहां।
सबका होना है यही हश्र।।2।।
रिश्ते बहुत ही स्वार्थी हैं।
अब किसी की नहीं कद्र।।3।।
मिलता नही खुश बशर।
हर दिल मे रहता है दर्द।।4।।
मत आना मिलने मुझसे।
बाहर मौसम भी है सर्द।।5।।
देखा जो जाकर हवेली।
जमी है तस्वीरों पर गर्द।।6।।
ख्वाहिशे तेरी भी है बड़ी।
तभी है तुमपे इतना कर्ज।।7।।
शहर में पसरा है सन्नाटा।
फैले है यहाँ दहशत गर्द।।8।।
क्यो बस्ती है यूँ सूनसान।
गए कहाँ पे यहाँ के फर्द।।9।।
खुदा ने किए है सब पर।
लाजिम माँ बाप के फर्ज़।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




