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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

पिता के होते है कितने ही रूप- ताज मोहम्मद

पिता कैसा होता है?
पिता संसार में...
संतान के लिए भगवान जैसा होता है।।

पिता के होते है कितने ही रूप।
पिता है छांव...
यदि जीवन है सूर्य की धूप।।

पिता का हृदय...
संतान के लिए बहुत विशाल होता है।।
परिवार के लिए वह जीवन के...
संघर्ष में स्वयं के अस्तित्व को खोता है।।

पिता है तो पुत्र की सम्पूर्ण सृष्टि है।।
पुत्र के लिए ही होती उसकी दृष्टि है।।

पिता होता है वट वृक्ष सा संसार में।
मलहम सा होता है पिता दुखों के अम्बार में।।

बिन पिता के बचपन खो जाता है।।
जो ना हो पिता तो पुत्र तन मन ना पाता है।।

पिता संसार में एक दर्पण सा होता है।।
अच्छे बुरे का भाव वही हमें सिखाता है।।

यह पिता ही है...
जो जग में अस्तित्व के साथ रहना सिखाता है।
जीवन के प्रत्येक...
संघर्ष में डटकर लड़ना सिखाता है।।

पिता का शब्दों से मूल्याकंन ना होता है।
पिता पुत्र का ईश्वर से आलिंगन सा होता है।।

पिता हो कैसा भी किन्तु...
पुत्र के जीवन का यथार्थ निर्माण करता है।
अपना सम्पूर्ण जीवन पिता...
परिवार के लिए ही निर्वाह करता है।।

प्रत्येक पिता अपनें पुत्र को स्वयं से उच्च बनाने की कोशिश में रहता है।
यह पिता ही है जो संतान को तुच्छ से सदैव दूर रखता है।।

पिता की सरपरस्ती है...
पुत्र के सर पर ज़रूरी।
बिना पिता के हर...
सन्तान की ज़िंदगी है अधूरी।।

पिता ही सर्वप्रथम मानव में...
पुत्र की आन बान बनाता है।
पिता ही पुत्र का परिचय...
अभिमान से कराता है।।

पिता जीवन में बरगद के पेड़ सा होता है।
वह हमेशा जीवन पर्यन्त पुत्र को अपनी...
छांव में सेता है।।

पिता पुत्र के जीवन में किसान...
सा होता है।
पुत्र के लिए ना जानें कितनें स्वप्नों को अपनी...
आंखों में बोता है।।

सन्तान के जीवन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी...
पिता की होती है।
पिता बनने के उपरांत पुत्र की खुशियां...
ही पिता की खुशियां होती है।।

पिता किसी के जैसा ना होता है।
पिता केवल पिता के जैसा होता है।।

पिता को कोई भी परिभाषित...
कर सकता नहीं।
स्वयं पिता बनकर भी पुत्र...
पिता को जी सकता नहीं।।

ना जानें ईश्वर ने यह कैसा बन्धन बनाया है।।
पिता के रूप में हर नंदन ने ईश्वर को पाया है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khubsurat likha Taj Sahab bahut hi heart touching. 👏👏 Lekin "पिता को कोई भी परिभाषित... कर सकता नहीं। स्वयं पिता बनकर भी पुत्र... पिता को जी सकता नहीं।।" Is virodhabhas par Jo mujhey pratit ho Raha hai thoda sa prakash daalne ka kasht karein

ताज मोहम्मद replied

इंसा खुद तो पिता बन जाता है, अपने पुत्र के प्रेम में लेकिन अपने पिता के प्रेम को वो कभी नही समझ पाता है, पुत्र के पत्नी के प्रेम में इंसान जीवन जीता है परंतु वह वो प्रेम कभी अपने पिता को नहीं दे पाता है, उसे पता होता है कि मेरा पुत्र जिस पर मैं अपना सर्वस्त्र जीवन लगा रहा हूं पता नही वो मेरे बुढ़ापे की लाठी बनेगा या नहीं फिर भी पुत्र के लिए वो अच्छे से अच्छा करता, पर अपने पिता के लिए उसके आगे भविष्य के क्या कभी इंसान सोचता है, मेरे हिसाब से नहीं सोचता है। ये मेरे ख्यालात है जरूरी नहीं ये सबके ख्यालात हो। बाकी आगे दिशा निर्देश देते रहिएगा। अच्छा लगता है जब आप लोग साथ देते है समीक्षा करते है। आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aapki Rachna vastav mein kathor Satya hai aapane mere vishay par Jo prakash daala aapka shukriya taaj Sahab ...m sahmat hu thoda sa shabdon ki kam samjh ki vajah se pura bhavrth nhi samjh paa Raha tha isiliye aapko kasht Diya. Yadi kavita achhi hai aur kuch Chand line ke bhav ka arth samjh m Naa aaye to kisi se puch kar arthpurn karne me samjhdaari hai Aisa Mera manna hai...aur yahan to rachyita ne swayam Prakash daala hai...kratagya hu kavita ke bhaav ko itne achhe se samjhaane ke liye

ताज मोहम्मद replied

ये आपकी महानता है। मैं कुछ भी नही भाई जी। संवाद के लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं।

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