दर्द की किस हद तक गुजरा, वो इंसान है,
जिसके आँख में आँसू, चेहरे पे मुस्कान है।
चेहरे से किसी के दर्द का पता कहाँ लगता,
अब कहाँ चेहरा किसी की असली पहचान है।
अंदर चल रहा एक युद्ध बाहर सब शांत है,
दिखते नहीं ज़ख्म पर भीतर से लहूलुहान है।
देख सको तो देखना गौर से आँखों में उसके,
गम के बादल और तपता हुआ रेगिस्तान है।
कौन? है ऐसा यहाँ जिसे नहीं कोई तकलीफ,
यार कोई इससे तो कोई उससे सब परेशान हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव