पी रहा था डालकर,
पानी शराब में !!
अब शराब डालकर,
पानी में पी रहा हूँ !!
पहले जी रहा था,
मर-मरके मेरे यार,
अब मर-मरके दोस्तों,
मैं तो जी रहा हूँ !!
पहले नब्ज़ देखकर,
औषध बताता था !!
अब तो ये हाल है कि,
खुद की नब्ज़ें गिन रहा हूँ !!
जूतों की माटी देखकर,
पहले पता बताता था !!
अब माटी के नयेपन से,
नज़रें चुरा रहा हूँ !!
- वेदव्यास मिश्र की यूनिक मतवाली कलम से
सर्वाधिकार अधीन है