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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पी रहा था डालकर - शराब और गज़ल - वेदव्यास मिश्र

पी रहा था डालकर,
पानी शराब में !!
अब शराब डालकर,
पानी में पी रहा हूँ !!

पहले जी रहा था,
मर-मरके मेरे यार,
अब मर-मरके दोस्तों,
मैं तो जी रहा हूँ !!

पहले नब्ज़ देखकर,
औषध बताता था !!
अब तो ये हाल है कि,
खुद की नब्ज़ें गिन रहा हूँ !!

जूतों की माटी देखकर,
पहले पता बताता था !!
अब माटी के नयेपन से,
नज़रें चुरा रहा हूँ !!

- वेदव्यास मिश्र की यूनिक मतवाली कलम से


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Raghav said

Waah. Maja aa gya kya bat hai.👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

जूतों की माटी देखकर, पहले पता बताता था !! अब माटी के नयेपन से, नज़रें चुरा रहा हूँ !! Bahut sundar Acharya ji 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

Raghav जी, हृदयंगम आभार 💜🌈👍🌈💜

वेदव्यास मिश्र said

अशोक जी, सादर सुप्रभात आभार नमन 💜💜🌈🌈💜💜

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! माशा अल्लाह!!

फ़िज़ा said

Umda behtreen ✍️✍️👌👌

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, शुक्रिया आभार नमस्कार 🙏💜💜☝

वेदव्यास मिश्र said

फ़िज़ा जी, आदाब आभार शुक्रिया इस खूबसूरत समीक्षा के लिए 🙏💜💜🙏

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