जख्मों का मरहम चाहते है।
तुमसा इक हमदम चाहते है।।1।।
बहुत जी लिए यूं कफस में।
परिन्दे खुला अंबर चाहते है।।2।।
प्यासे आब से बड़े परेशां हैं।
सेहरा में समन्दर चाहते है।।3।।
हालातों से ना लड़ पाते है।
खुद को सिकन्दर मानते है।।4।।
मुहम्मद तो है रसूले खुदा।
लोग उन्हें पैगंबर मानते है।।5।।
वो दिनभर सहते रहे धूप।
फूल अब शबनम चाहते है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




