जो छलावा, दिलगी करत हैं अक्सर उन्हें ही सच्ची मुहब्बत मिलती है,
मगर बफा से मुहब्बत करने वाले को, बेवफाई, ठोकर मिलती है
अपनी मुहब्बत की ख्वाहिशों , चाहत की धज्जियां उड़ती देखी मै ने,
यों ही नहीं सीखा मौन रहना, तसल्ली रखना मै ने
हर बीमारी , दर्द का इलाज दवा से नहीं होती,
कुछेक बीमारी, दर्द का इलाज हुस्नवालियों के मुस्कान से होती है
तेरी वफाओं का मौसम गुजर गया है अब,
क्योंकि अब तुम्हें मेरी मोहब्बत की जरूरत नही है,
लेकिन मेरे अंदर आज भी कसक है मोहब्बत की,
इसलिए उम्र की फिक्र हम क्यों करें,
जब मन में बसंत की बहार है,
क्या कहे कम्बख्त तेरे दिल को अब
जब तेरा दिल मेरा होकर भी और के लिए धड़कता है
उनके साथ चलने की खुशी में उनके शहर का हाल पूछना भूल गया,
पूछा हाल उनके शहर का, तो निगाहें झुका कर वो बोली,
मेरे साथ और लोग भी जिंदा है, लेकिन जमीर का कुछ पता नहीं
कोई कभी परिपूर्ण, कोई बहुत सुन्दर नहीं होता है,
आधा अधूरा चांद हमेशा तुम सा सुंदर होता है,
सच्चे दिलबर को दर्द हो तो आंसू निकल आते हैं,
बेवफा बोल हम ने आपके दिल को जरा सा क्या कुरेद दिया,
कितनी मोहब्बत है मेरे लिए आपके दिल में, यह मैं ने जान लिया है
कहाँ कहाँ तलाश करूँ तुम जैसा महबूबा,
जो मुझ से जुदा भी रहे,
और मुझ से बेइंतहा मोहब्बत भी करे
माना कि मैं ने तेरे इश्क को ठीक से चखा नहीं है,
तू थोड़ा कड़वी जरूर है , पर तू बेवफा नहीं है
पागल पर कोई कभी भी भरोसा नहीं करता,
लेकिन कोई यह नहीं समझत कि भरोसे ने ही उसे पागल कर दिया
तुम्हारी मासूमियत, भोलापन देख, तुम पर फिदा हो गया,
पर यार, तुम तो बहुत बेरहम निकली
हर किसी को कभी न कभी किसी से प्यार होता है,
और मुझे भी तुम प्यार हो गया,
लेकिन प्यार करने वाले कभी एक नहीं होते,
मै तुझे भूल जाऊँ, यह तेरी भूल है,
तेरी तारीफ क्या करूँ, तू महकता एक फूल है
टूटे हुए कांच की तरह बिखर चकनाचूर हो गया हूँ मैं,
किसी को दिल में चुभ ना जाए इसलिए दूर रहता हूँ मैं
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल मेरा, तुम्हारे बिना, सनम,
कभी बात करने की हसरत, तो कभी देखने की तमन्ना,
मन बहुत बयाकुल हो तो, बाहों में भरने का करता है मन
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'