हे सभ्य मानव समाज ..कृपया आप ही बताइये,
पत्नी के कहर से आज तक कोई बच सका है ??
हे भले ज्ञानी..परम ध्यानी समाज..आप ही बताइए,
पत्नि के प्रकोप से आज तक कोई भलामानुष बच सका है ??
चरण दबा लो..चाहे जी हुजूरी कर लो कुछ भी,
क्या ऐसा करके भी कभी कोई पति चैन से सो सका है ??
आप बताओ या न बताओ..मर्जी है आपकी,
मगर अपने सीसी टीवी रूपी बच्चों के निगाहों से क्या कोई कभी बच सका है !!
आलू छीलो चाहे लौकी या कर लो कुछ भी सेवा,
फिर भी कोई नरपति सुकून से मेवा खा सका है ??
युद्ध जीत लो चाहे महाभारत, हलदीघाटी या कोई भी,
मगर अपने ही घर में पत्नि को कोई पति कभी हरा भी सका है ??
वो जो भी चाहे, उसे करने दो ..न रोको.. मानो तो सलाह भी मेरी कभी,
क्या पत्नि के स्वयं होते हुए कोई और बला कभी पास आके छू भी सका है ??
- एक समझदार 😍 पति वेदव्यास मिश्र की नेक कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




