पति देव की मनपसंद सब्ज़ी
आज की मज़ेदार कहानी हमारे पति देव की
गाँव कभी देखा नहीं जिन्होंने
फिर भी ताज़ी ताज़ी सब्जियों को देखते ही दिल हो जाता है उनका बाग बाग
आज ताज़ी सुंदर सब्ज़ी लेने निकले मार्किट
लेकर आए वैरायटी ताज़ी सब्जियों की
सब अपनी पसंद की क्योंकि एक भी सब्ज़ी याद न आई उन्हें हमारी पसंद की
आज लंच में तोरी खाएँगे यह इच्छा जगाई
पहुँचे बिना मन के तोरी की सब्ज़ी बनाने
संडे को भी बरबाद करने लगे तोरी खिला के
आगे सुनिए पाँच पीस तोरी के खाने वाले चार
देख उन्हें अब उलझन में आ गए हम
सब्ज़ी बनेगी इसकी या कच्ची खाएँगे सब
एक एक सबके हिस्से में और पतिदेव खाएँगे दो
ग़ुस्सा आया पर करते भी क्या अब हम
सोचा हमने
कितना समय बीत गया पर सब्ज़ी भी ख़रीदनी नहीं आई इनको
आज पक्का सास से डाँट लगवाएँगे अपनी गलती की हमको..
वन्दना सूद