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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पति देव की मनपसंद सब्ज़ी

पति देव की मनपसंद सब्ज़ी
आज की मज़ेदार कहानी हमारे पति देव की
गाँव कभी देखा नहीं जिन्होंने
फिर भी ताज़ी ताज़ी सब्जियों को देखते ही दिल हो जाता है उनका बाग बाग
आज ताज़ी सुंदर सब्ज़ी लेने निकले मार्किट
लेकर आए वैरायटी ताज़ी सब्जियों की
सब अपनी पसंद की क्योंकि एक भी सब्ज़ी याद न आई उन्हें हमारी पसंद की
आज लंच में तोरी खाएँगे यह इच्छा जगाई
पहुँचे बिना मन के तोरी की सब्ज़ी बनाने
संडे को भी बरबाद करने लगे तोरी खिला के
आगे सुनिए पाँच पीस तोरी के खाने वाले चार
देख उन्हें अब उलझन में आ गए हम
सब्ज़ी बनेगी इसकी या कच्ची खाएँगे सब
एक एक सबके हिस्से में और पतिदेव खाएँगे दो
ग़ुस्सा आया पर करते भी क्या अब हम
सोचा हमने
कितना समय बीत गया पर सब्ज़ी भी ख़रीदनी नहीं आई इनको
आज पक्का सास से डाँट लगवाएँगे अपनी गलती की हमको..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

यह तो अच्छा खासा मजाक बन गया वन्दना जी, वैसे आपकी कहानी हमें बहुत अच्छी लगी, आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद replied

हाहा 😊

श्रेयसी said

Waah Vandana ji kaisi bani sabji 😊😊🙏🙏

वन्दना सूद replied

तोरी की सब्ज़ी जैसे भी बने बहुत मन से कोई कहाँ खाता है 😂

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