हम भी वहीं थे
जुबां में आ ही गई वो बात, जो कल कह रहे थे।
न चाहते हुए भी बोलना पड़ा, जो तुम सोच रहे थे।।
चर्चे हो रहे थे उस जगह तुम्हारी, जहां दिल भी थे।
मासूम सा चेहरा तुम्हारा, मुझसे कुछ कह रहे थे ।।
काबिल न बन पाया मैं, जो तुम बनाना चाह रहे थे।
भरी महफ़िल में वो, मेरी इज्ज़त नीलाम कर रहे थे।।
थे उसके पास किसी कोने में, फुटफूटकर रो रहे थे।
जब दे रहे थे अपनी बेगुनाही का सबूत, हम भी वहीं पर थे।।
- सुप्रिया साहू