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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हम भी वहीं थे - सुप्रिया साहू

हम भी वहीं थे

जुबां में आ ही गई वो बात, जो कल कह रहे थे।
न चाहते हुए भी बोलना पड़ा, जो तुम सोच रहे थे।।

चर्चे हो रहे थे उस जगह तुम्हारी, जहां दिल भी थे।
मासूम सा चेहरा तुम्हारा, मुझसे कुछ कह रहे थे ।।

काबिल न बन पाया मैं, जो तुम बनाना चाह रहे थे।
भरी महफ़िल में वो, मेरी इज्ज़त नीलाम कर रहे थे।।

थे उसके पास किसी कोने में, फुटफूटकर रो रहे थे।
जब दे रहे थे अपनी बेगुनाही का सबूत, हम भी वहीं पर थे।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

Supriya sahu replied

धन्यवाद आदरणीय लेखराम सर जी 🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Updesh Kumar Shakyawar said

We were also there..I don't know but poetry is good 👌...Good morning

Supriya sahu replied

Thank you so much sir 🥰, good morning 🌄🙏.

श्रेयसी said

बहुत सुंदर रचना सुप्रिया जी 🙏🙏

Supriya sahu replied

धन्यवाद मैम 😊🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह वाह वाह वाह वाह 👏👏👏

Supriya sahu replied

धन्यवाद मैम 😊🙏

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