कर रहा प्रयत्न,
फिर भी मिल रही है हार,
संघर्ष करूँ निरंतर,
मन कर रहा पुकार।
आंधियाँ रोकती राहें,
तूफ़ान करते बेकरार,
फिर भी उम्मीद कहती है,
चल आगे, मत हार।
हर कदम पर सीख है,
हर चोट में ताकत छिपी,
जीवन की इस यात्रा में,
खुद की पहचान है मिली।
सांप बनकर काट रहे अपने ही बार-बार,
हर मुस्कान के पीछे छुपा एक धार।
हो जाऊँ मैं दूर,
मन कर रहा विचार,
सुकून ढूँढने कहीं दूर उस पार।
हार से ही अपने मैं करता हूँ सुधार,
साथ चलने वालों का है दिल से आभार।
नाव बनकर चलेंगे तो करेंगे पार,
आलस में डूबा जीवन जीना है बेकार।
संघर्ष ही देता है साहस अपार,
सपनों को पाने का बनता आधार।
कर रहा प्रयत्न,
फिर भी मिल रही है हार,
संघर्ष करूँ निरंतर,
मन कर रहा पुकार।
– गौरव मिश्रा