रिश्तों की कड़ियों से जुड़े हों
दुःख तकलीफ़ में एक दूजे के साथ खड़े हों
कोई न कर पाए उन पर वार
वो कहलाता है परिवार!!
जहाँ सबको सबकी परवाह हो
सभी को अपनों का ख़्याल हो
करते हों सभी एक दूसरे से प्यार
वो कहलाता है परिवार!!
जहाँ छोटों का मान हो
और बड़ों का सम्मान हो
सभी मिलकर करें समस्या पर विचार
वो कहलाता है परिवार!!
सभी एक साथ हों
खुशियों की बहार हो
न हो किसी की किसी से रार
वो कहलाता है परिवार!!
जहाँ दादा-दादी की कहानियाँ हों
चाचा-चाची का लाड़ हो
भाई- बहन का हो दुलार
वो कहलाता है परिवार!!
जहाँ नाना-नानी की पुकार हो
मामा-मामी का इक़रार हो
मौसी से हर बात का हो इज़हार
वो कहलाता है परिवार!!
सभी में संस्कार हों
सभी मिलनसार हों
सब मनायें अपनी संस्कृति और त्योहार
वो कहलाता है परिवार!!
----प्रदीप त्रिपाठी "दीप"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




