👉 बह्र - बहर-ए-रमल मुसद्दस महज़ूफ़
👉 वज़्न - 2122 2122 212
👉 अरकान - फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
आँख किसकी गम में होती नम नहीं
सब्र लेकिन हो तो गम भी गम नहीं
ख़्वाब सब पूरे हो मुश्किल है मगर
रब ने जो बख्शा है वो भी कम नहीं
हमने देखे हैं उजालों के फरेब
अब अंधेरों का कोई मातम नहीं
अब न शिकवा अब न कोई आरजू
जो मयस्सर है वो हरगिज़ कम नहीं
मशवरा है दूसरों के वास्ते
ख़ुद को बदले आदमी में दम नहीं
धीरे-धीरे जख़्म भी भर जाएँगे
वक़्त से बढ़कर कोई मरहम नहीं
आज गम है 'शाद' कल होगी ख़ुशी
एक सा रहता सदा मौसम नहीं
©विवेक'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




